Breaking News

SII की ऑक्सफोर्ड वैक्सीन की इफेक्टिवनेस पर अलग-अलग दावे; जानिए सबकुछ

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 3 जनवरी को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में बन रही ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोवीशील्ड को अप्रूवल दे दिया है। पर कई सवालों के जवाब अब भी स्पष्ट नहीं हो सके हैं। जैसे डोज के बीच का अंतर कितना होना चाहिए। इस बारे में भारतीय रेगुलेटर ने कुछ नहीं कहा है।

इसकी इफेक्टिवनेस को लेकर भी अलग-अलग बातें सामने आई हैं। एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन की ओवरऑल इफेक्टिवनेस 90% तक होने का दावा किया था। इसे लेकर भारतीय रेगुलेटर का मानना है कि यह वैक्सीन 70% तक इफेक्टिव है। इस तरह की अलग-अलग जानकारी सामने आ रही है तो ब्रिटिश और भारतीय रेगुलेटर की स्टडी को जानना जरूरी हो गया है। आइए, समझते हैं कि अलग-अलग जानकारियां कैसे सामने आई हैं...

एस्ट्राजेनेका का दावा

डोजः एस्ट्राजेनेका ने अपनी वैक्सीन-कोवीशील्ड के फेज-3 ट्रायल्स का जो डिजाइन तय किया था, उसमें चार हफ्ते के अंतर से दो डोज दिए जाने थे। पर 12 दिसंबर को लैंसेट में प्रकाशित ट्रायल्स डेटा में कंपनी ने कहा कि ज्यादातर वॉलंटियर्स को दूसरा डोज देने में चार हफ्ते से ज्यादा वक्त लगा। ब्रिटेन में दो डोज का अंतर औसतन 10 हफ्ते का था, जबकि ब्राजील में 6 हफ्ते का।

इफेक्टिवनेसः यूके और ब्राजील में ज्यादातर वॉलंटियर्स को दो फुल डोज दिए गए और वैक्सीन 62% इफेक्टिव रही है। किसी वजह से कुछ वॉलंटियर्स के छोटे ग्रुप को पहले हाफ डोज दिया और फिर फुल डोज। इसमें 90% इफेक्टिवनेस सामने आई। एस्ट्राजेनेका ने दिसंबर में दावा किया था कि हाफ डोज और फिर फुल डोज देने पर इफेक्टिवनेस 90% कैसे रही, इसके लिए और जांच की जा रही है। पर यह भी कहा गया कि सिंगल डोज 64% तक इफेक्टिव है।

अमेरिका समेत ज्यादातर देशों में रेगुलेटर्स ने तय किया था कि 50% इफेक्टिवनेस किसी वैक्सीन को इमरजेंसी अप्रूवल देने के लिए काफी होगी। इसके मुकाबले फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और रूसी वैक्सीन-स्पुतनिक V की वैक्सीन ट्रायल्स में 90% से ज्यादा इफेक्टिव रही हैं।

ब्रिटिश रेगुलेटर ने अप्रूवल में क्या कहा?

डोजः यूके मेडिसिन्स एंड हेल्थकेयर प्रोडक्ट्स रेगुलेटरी एजेंसी (MHRA) ने दो फुल डोज को मंजूरी दी है। देश में जल्द से जल्द और ज्यादा से ज्यादा लोगों को कवर किया जा सके, इसके लिए दूसरा डोज 4 से 12 हफ्ते के बीच लगेगी।

इफेक्टिवनेसः एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड के ट्रायल्स से आए डेटा पर उठे संदेहों को अधिकारियों ने यह कहकर दूर कर दिया कि दो फुल डोज ही दिए जाएंगे। हाफ और फुल डोज से 90% इफेक्टिवनेस के दावे की पुष्टि नहीं हुई है। पर एक अधिकारी ने यह दावा कर चौंका दिया कि अगर डोज तीन महीने के अंतर से दिए जाते हैं तो इफेक्टिवनेस 80% रहेगी। यह तो एस्ट्राजेनेका के दावे से भी अधिक है।

एक अन्य अधिकारी ने कहा कि जिन वॉलंटियर को वैक्सीन का एक डोज दिया था, उनमें 21 दिन बाद 70% तक इफेक्टिवनेस दिखी है। दरअसल, जो डेटा रेगुलेटर से शेयर किया गया है, वह सार्वजनिक रूप से कहीं भी उपलब्ध नहीं है। इस वजह से अलग-अलग आंकड़े सामने आ रहे हैं।

भारतीय रेगुलेटर ने अपने अप्रूवल में क्या कहा?

डोजः सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के प्रमुख ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने दो डोज की व्यवस्था को मंजूरी दी है। अप्रूवल की घोषणा में यह नहीं बताया है कि दो डोज के बीच अंतर कितना रहना चाहिए। माना जा रहा है कि 4 हफ्ते के अंतर से दो डोज दिए जाएंगे।

इफेक्टिवनेसः भारतीय रेगुलेटर का मानना है कि कोवीशील्ड की ओवरऑल इफेक्टिवनेस 70.42% रही। यह दावा 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 23,745 वॉलंटियर्स पर विदेश में की गई स्टडी पर आधारित है। भारत में अदार पूनावाला की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने फेज-2/3 के क्लीनिकल ट्रायल्स किए, जिसमें 1,600 वॉलंटियर्स शामिल थे। इसमें भी अच्छे नतीजे सामने आए हैं।



आज की ताज़ा ख़बरें पढ़ने के लिए दैनिक भास्कर ऍप डाउनलोड करें
Oxford University Coronavirus Vaccine Effectiveness Explainer; Question On Doses Of The Covishield Covid-19 Vaccine


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3ndXzZn

No comments