पहले एक महीने में 14 मुकदमे दर्ज हुए, 51 लोगों को जेल में भेजा गया; इनमें एक भी हिंदू नहीं
हाशिम पेशे से वकील हैं और बेहद डरे हुए हैं। उन्होंने नवंबर में उत्तर प्रदेश के एटा की रहने वाली एक हिंदू लड़की का धर्म-परिवर्तन करवाकर एक मुसलमान लड़के से शादी करवाई थी। अब हाशिम के परिवार के आठ सदस्य जेल में हैं। जिस लड़के ने हिंदू लड़की से शादी की थी, उसके भी पांच परिजन जेल में हैं। लड़की फिलहाल पुलिस सुरक्षा में हैं, लेकिन अभी तक अदालत में उसके बयान नहीं हो सके हैं।
हाशिम बताते हैं, 'मैंने 28 नवंबर को दिल्ली में शादी रजिस्टर करवाकर एटा के एसएसपी और जलेसर थाने के SHO को इस बारे में नोटिस और लड़की की तरफ से एक याचिका भेजी थी। पुलिस ने मुझसे कोई बात नहीं की। एक-एक करके मेरे रिश्तेदारों को उठाना शुरू कर दिया। लड़के के परिजनों को भी उठा लिया गया।'
यूपी पुलिस ने ये कार्रवाई लव जिहाद रोकने के लिए लाए गए नए अध्यादेश के तहत की है। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 28 नवंबर को गैर कानूनी धर्म परिवर्तन रोकथाम अध्यादेश ( Prohibition of Unlawful Religious Conversion Ordinance, 2020 -PURC) को मंजूरी दी थी। इस अध्यादेश में लव जिहाद या किसी खास धर्म का उल्लेख नहीं है, लेकिन यूपी में इसे लव जिहाद के खिलाफ कानून कहा जा रहा है।
इस नए कानून के लागू होने के पहले एक महीने में यूपी में कुल 14 मुकदमे दर्ज किए गए, जिनके तहत 51 लोगों को जेल में भेजा गया। ये संयोग ही है कि जेल भेजे गए सभी लोग मुसलमान हैं। जो मुकदमे दर्ज हुए हैं उनमें से 13 में हिंदू युवतियों को बहला-फुसलाकर या दबाव डालकर उनका धर्म परिवर्तन करवाने के आरोप लगाए गए हैं। दो मुकदमे पीड़ित महिलाओं की ओर से जबकि 12 रिश्तेदारों की तरफ से दर्ज करवाए गए हैं।
बिजनौर जिले में ऐसे तीन मुकदमे दर्ज किए गए हैं। ऐसे ही एक केस में 18 साल के शाकिब को जेल भेजा गया है। उन पर एक नाबालिग दलित लड़की का धर्म परिवर्तन कराने के आरोप हैं। बिजनौर के एसपी संजय कुमार ने शाकिब की गिरफ्तारी के बाद कहा था, 'लड़की को अपना नाम सोनू बताकर प्रेम जाल में फंसा लिया। उसपर धर्म परिवर्तन करने का दबाव डाला। अगवा कर ले गया, लड़की किसी तरह उसके चंगुल से छूटी है।' इस मामले में लड़की, उसके पिता और परिवार के लोगों के पुलिस के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि लड़की पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं था और वो कोई कार्रवाई नहीं चाहते हैं।
शाकिब के चचेरे भाई नफीस खान अब उनकी जमानत कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं। वो बताते हैं, 'वो उस दिन एक पार्टी में गया था। पास के गांव की लड़की भी साथ थी। पब्लिक ने दोनों को पकड़कर पुलिस को दे दिया। पुलिस ने लव जिहाद का झूठा केस लगाकर जेल भेज दिया है।'
5 दिसंबर को लव जिहाद कानून के तहत गिरफ्तार होने वाले पहले व्यक्ति राशिद खान 19 दिसंबर को रिहा हो गए। पुलिस को उनके खिलाफ जबरन धर्मांतरण कराने का कोई सबूत नहीं मिला। लेकिन, उनकी पत्नी पिंकी (जो अब नाम और धर्म बदलकर मुस्कान हो गई हैं) ने अपने पेट में पल रहा बच्चा खो दिया। पिंकी अब इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रही हैं। जबरन धर्म परिवर्तन का मुकदमा दर्ज होने के बाद पिंकी को उनकी ससुराल से अलग करके नारी सुरक्षा गृह में भेज दिया गया था। बाद में अदालत के आदेश पर उन्हें पति राशिद के घर भेजा गया। भर्राई आवाज में पिंकी कहती हैं, 'उन्होंने मेरे बच्चे को मार दिया।'
वहीं एक मुसलमान लड़के के साथ घर छोड़कर गई सीतापुर की एक हिंदू लड़की के पिता कहते हैं, 'जिनके भी नाम लिखकर दिए थे पुलिस ने सभी को पकड़ लिया। लेकिन हमारी बेटी अभी तक नहीं मिली है। हमें अपनी बेटी वापस चाहिए। वो उसका धर्म परिवर्तन करवा देंगे जो हमें किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है।'
यूपी में प्रेम-विवाह के मामलों का एक दूसरा पहलू भी है। नया कानून लागू होने के बाद से बरेली, मेरठ और कानपुर में मुसलमान लड़कियों के हिंदू लड़कों से शादी के मामले सामने आए हैं। लेकिन इनमें से किसी भी मामले में पुलिस ने गिरफ्तारी नहीं की है बल्कि मेरठ और बरेली में प्रेमी जोड़े को सुरक्षा भी दी है।
ऐसे में सवाल उठता है कि यूपी पुलिस कार्रवाई में भेदभाव कर रही है और सिर्फ मुसलमानों को निशाना बना रही है। इस सवाल पर यूपी के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं, 'जहां कानून के तहत कोई शिकायत आती है तो पुलिस जांच करती है और कार्रवाई करती है। जहां कोई मैटर होता है कार्रवाई की जाती है, जहां कुछ नहीं होता वहां छोड़ा भी जाता है।'
लेकिन सिर्फ मुसलमान ही गिरफ्तार क्यों हो रहे हैं, इस सवाल पर सिद्धार्थ नाथ सिंह कहते हैं, 'ये प्रोपगेंडा विपक्ष के लोग चला रहे हैं, सरकार धर्म के आधार पर काम नहीं करती है, हमारा संविधान भी उसकी इजाजत नहीं देता है। हमारी नीति सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास की है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें कुछ नहीं पाया गया और लोगों को छोड़ा भी गया है।'
वहीं रिटायर्ड IPS अधिकारी विभूति नारायण राय कहते हैं, 'पुलिस पर ये आरोप बिलकुल सही लग रहे हैं। एक ही दिन में दो मामले आए थे, एक जगह हिंदू लड़की ने मुस्लिम लड़के से शादी की थी जबकि दूसरी जगह मुस्लिम लड़की ने हिंदू लड़के से शादी की थी। दोनों मामलों में पुलिस का रवैया बिलकुल अलग था।'
इसकी वजह बताते हुए राय कहते हैं, 'सरकार अगर निष्पक्ष हो और कानून का शासन लागू करना चाहे तो लव जिहाद जैसे कानून की जरूरत नहीं है। ये बदनीयती से लाया गया कानून है, उसी तरह लागू किया जा रहा है।
इसका समाज पर बुरा असर पड़ेगा। एक तरह से हम पीछे जा रहे हैं।'
राय कहते हैं, 'पहले यूपी में सरकार अंतर-धार्मिक विवाहों और अंतरजातीय विवाहों को बढ़ावा दे रही थी। अंतर धार्मिक विवाह होंगे तो कट्टरता खत्म होगी, अंतरजातीय शादियां होंगी तो जातिवाद खत्म होगा। लेकिन सरकार अब इन्हें बढ़ावा देने के बजाए इन्हें रोक रही है। पुलिस सरकार के इशारे पर चल रही है इसलिए पक्षपातपूर्ण दिख रही है।'
इस नए अध्यादेश ने उन लोगों के मन में डर पैदा किया है जो धर्म की बंदिशों को पार कर प्रेम करने की हिम्मत कर रहे थे। ऐसे ही एक लड़के ने फोन पर बताया, 'अब हमें यूपी से बाहर भी जाना पड़ सकता है।' वहीं हाशिम को अदालत में लड़की के बयान दर्ज होने का इंतजार है। वो नहीं जानते कि लड़की क्या बयान देगी। यदि बयान उनके खिलाफ हुआ तो उनके परिजनों को जेल में लंबा वक्त बिताना पड़ सकता है। हाशिम कहते हैं, 'मैंने एक वकील के तौर पर अपने क्लाइंट के लिए पेशेवर काम किया। मुझे नहीं पता था कि मैं इतनी बड़ी मुसीबत में फंस जाउंगा। मेरा पूरा घर खाली पड़ा है, लॉक लगा है। मैं डर में जी रहा हूं।'
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