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गांधी जी भी महामारी की चपेट में आए थे, पर हारे नहीं; राष्ट्रपिता की 8 बातों से जानिए कैसे वैक्सीन आने तक खुद को सुरक्षित रखना है

आज गांधी जयंती है, यानी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्मदिन। नई पीढ़ी पहली बार महामारी के बीच गांधी जी का जन्मदिन मना रही है, जबकि खुद गांधी जी स्पेनिश फ्लू महामारी के दौर से गुजर चुके हैं। इतना ही नहीं 1918 से लेकर 1920 तक चली इस महामारी का शिकार महात्मा गांधी भी हुए थे। कई किताबों में इस बात का जिक्र मिलता है। अपने जीवन में कई बार गंभीर बीमारियों की चपेट में आने के बाद भी गांधी जी ने अनुशासन के बल पर स्वस्थ्य होकर दिखाया है।

इंडियन मेडिकल जर्नल के मुताबिक, वे अपने जीवन में फिजिकल फिटनेस और संतुलित आहार को बहुत जरूरी मानते थे। गांधी जी 1914 में प्लूरिसी, 1918 में स्पेनिश फ्लू, 1929 में गंभीर डिसेंट्री, 1925,1936 और 1944 में मलेरिया, 1939 में गैस्ट्रिक फ्लू और 1945 में इन्फ्लूएंजा की चपेट में आ गए थे।

अब जब कोरोनावायरस दुनियाभर में फैल चुका है और वैज्ञानिक इससे बचने के लिए वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं। हालांकि, अभी यह पता नहीं है कि वैक्सीन हमें कब तक मिल पाएगी। हाल ही में खबरें आईं थीं कि वैक्सीन ट्रायल में रुकावटें आ गई हैं। ऐसे वक्त में हमें गांधी जी की बातों को याद करने की जरूरत है। उन्होंने कहा था कि 'हम ठोकर खा सकते हैं, गिर सकते हैं, लेकिन फिर उठेंगे। यह काफी होना चाहिए कि हम मैदान छोड़कर भागे नहीं।' राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कुछ ऐसी ही बातें कोरोना के दौर में हमें सुरक्षित रहने की सीख देती हैं।

गांधी जी की बातों में छिपे हैं कोरोना से लड़ने के राज....



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Learn from the 8 things of the Father of the Nation, how to avoid corona till the vaccine arrives


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