सेना को 20 अगस्त से ही थी चीन की साजिश की भनक, एक हफ्ते की तैयारी के बाद जवानों को पैंगॉन्ग के दक्षिणी इलाके में तैनात कर दिया गया

भारतीय सेना को 20 अगस्त को खुफिया इनपुट मिल गया था कि चीनी सैनिक पैंगॉन्ग झील के दक्षिण में नया मोर्चा खोलने की तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, इसी आधार पर सेना ने एक हफ्ते की तैयारी की और दक्षिणी छोर पर लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) से लगे ठिकानों पर जवानों को तैनात कर दिया। सेना का यह अनुमान सटीक निकला कि पांच महीने से चीनी सेना लद्दाख में गलवान से लेकर पैंगोंग के उत्तरी छोर और देपसांग में जो चाल रही है, वही साजिशें अब वह दक्षिण छोर पर दोहराने की तैयारी है।
पूर्वी लद्दाख में रविवार रात पैंगॉन्ग झील की दक्षिणी पहाड़ी पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कब्जे से पहले ही भारतीय जवानों के मोर्चे पर डटने के मास्टरस्ट्रोक ने चीन को तगड़ा झटका दिया है। उकसावे की यह कार्रवाई नाकाम होने के बाद चीन ने सोमवार रात फिर घुसपैठ की कोशिश की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि तनाव कम करने सोमवार को ग्राउंड कमांडर्स की बैठक चल रही थी। वहीं, दूसरी तरफ चीनी सैनिकों ने एक बार फिर उकसाने वाली कार्रवाई की। भारतीय सेना ने इसे नाकाम कर दिया।
भारत के एक्शन की चीन को उम्मीद ही नहीं थी
रविवार रात जब चीन के 450 सैनिक लाव-लश्कर के साथ एलएसी की यथास्थिति बदलने पहुंचे तो बड़ी संख्या में तैनात भारतीय जवानों को देखकर उनके होश उड़ गए। हालांकि, इस दौरान दोनों ओर से कोई भी संघर्ष नहीं हुआ।
क्या है पैंगॉन्ग के इलाके की अहमियत?
पैंगॉन्ग के उत्तरी छोर पर सेना के कमांडिंग अफसर रह चुके कर्नल एस डिन्नी ने कहा कि जिन लोकेशंस पर भारतीय सैनिकों की तैनाती की खबर है, वह बेहद सामरिक महत्व की हैं। अगर यहां पर चीनी कब्जा हो जाता तो चुशुल का बड़ा इलाका चीन की निगरानी में आ जाता। उस इलाके में भारतीय सेना की हवाई पट्टी और सामरिक ऑपरेशन भी हैं। भारतीय सेना के जवाब में चीन हिंसक कार्रवाई से लेकर राजनयिक दबाव डालने का धमकी देने तक का विकल्प अपना सकता है। ऐसे में हमारी सेना को सतर्क रहना होगा।
खेल यूं बदला: भारतीय सेना ने तीन चोटियों पर दबदबा बनाया, यहां से चीन के इलाके पर नजर रखी जा सकेगी
सूत्रों ने बताया कि भारतीय सैनिकों ने तीन चोटियों (हाइट्स) पर दबदबा बना लिया है। यहां से चीन के इलाके में हर हरकत पर नजर रखी जा सकती है। इन चोटियों पर भारत और चीन अपना दावा जता रहे हैं। समझौते के मुताबिक इन जगहों पर दोनों देश सैनिक तैनात नहीं करके सिर्फ पैट्रोलिंग करते थे। चीन जिस तरह फिंगर एरिया में आकर डट गया, उसी का जवाब पैंगॉन्ग लेक के दक्षिण किनारे पर दिया जा रहा है। सैन्य अधिकारियों ने कहा कि भारत का कदम पूरी तरह रक्षात्मक है। स्पांगुर एरिया में चीनी सैनिकों के टैंकों की मूवमेंट देखते हुए यह कदम उठाया गया है। हम चाहते है कि अप्रैल से पहले वाली स्थिति बहाल हो।
सीनाजोरी: चीन ने 5 बार भारत पर ही घुसपैठ के आरोप लगाए
ब्रिगेड कमांडर स्तर पर दोनों पक्षों के बीच दो दिन से जारी बैठक काफी तनावपूर्ण रही। चीनी पक्ष इस बात पर अड़ा है कि भारतीय सेना ब्लैक टॉप के सामने वाली बम्प चोटी और उसके आसपास की दो और पहाड़ियों से हटे। चीन ने घुसपैठ की कोशिश स्वीकारने के बजाय दो दिन में 5 बार भारत पर ही एलएसी पार करने का आरोप लगा दिया।
मंथन: रणनीति पर चर्चा के लिए दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक
पैंगॉन्ग क्षेत्र के हालात से निपटने की रणनीति बनाने के लिए दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक हुई। इसमें रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस बिपिन रावत, सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम चीन से शांतिपूर्ण तरीके से बात कर सभी मामले हल करना चाहते हैं।
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